Book Title: Sanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 03
Author(s): Yudhishthir Mimansak
Publisher: Yudhishthir Mimansak

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Page 280
________________ बारहवां परिशिष्ट वराहमिहिर ( ज्योतिषाचार्य) I. ४८७, १६ वराहमूल (= बारामूला ) II. ४७८७ । वर्धमान, वर्धमान सूरि ( व्या० प्रवक्ता गणरत्न महोदधिकार) I. ७८,११।११६,१६।१२४,२६।१२५, १४।१४६,२०।१७५, ३।१६७,१५२०२, ८ २२५, २२३६६, २६।३७१,२४।३७२, २।३८६,२२/४०२,१५/४०५, १३ ४०६,१५४८१,३२४६१, २/६०८,६१६५४,१९।६६३,१३।६७०,१३।६७१,१।६८३, २:६६२,१७१६६३,२०१६६४, २३।६६७, २३ । II. ४,१८ । ६३,२५।११६,४।१६४,६।१६८,४११६६,१०।१८३५।१८७ २६६ २४ । १६२,७/१६८,६१६६,६२००, २२६८,२३३००, १४।४३६,२३।४७१,२२| III. १२३, ५ वर्धमान (त्रिविक्रम का गुरु ) I. ६३६, ६ । वर्धमान ( कातन्त्रविस्तर का कर्ता) I. ६३८, १५॥ : वर्धमान (धातुवृत्ति में उद्धृत) II. १४२,७ | वर्धमान ( काव्यकार ) III. ६५,१८ । वर्नेल - द्र० 'वरनेल' शब्द । वर्मदेव (प्र॰ सर्वस्व का टीकाकार) I. ६०५, २३६०६,१५ वर्मलात (राजा) 1. ५०६, २० / III. १२३, २४ वर्ष (पाणिनि का गुरु ? ) २००,६ । वलभी ( गुजरात प्रान्त) I. १६७,१७।३९७५/४० १,२१५१४, २० II. ३३३,२२/४८५,५१ वलभी-भंग I. ६७२,११।६७३.११ । III. १७४, १८ वलाकपिच्छ I. ६६६,४ वल्लभ (सि० कौ० टीकाकार) I. ६०३,१०। II. २३०,३५। वल्लभ ( ज्ञानविमल का शिष्य) I. ७००,७॥ वल्लभ गणि ( है ० लिङ्गा० व्याख्याकार) II. २९६,१६। बल्लभजी (मूलशंकर=स्वामी द० का भाई ) I. ५४४,१४। वल्लभदेव ( शिशुपालवध का टीकाकार ) ). ३५७, १६४७१,८। II. २४, ६।२३००१६। वल्लभ देव (भोजप्रबन्धकार ) I ६८५,१११

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