Book Title: Sanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 03
Author(s): Yudhishthir Mimansak
Publisher: Yudhishthir Mimansak

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Page 247
________________ संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास पञ्चाल चण्ड' I. ७६,२८1 III. १५४,२६ । पञ्जाब I. ७०,५१४८,१३ II. २६६,३ । पञ्जाब यूनिवर्सिटी' (विश्वविद्यालय') लाहौर I. ७०,६।४०६) २००४०६,२७।४४२,१८ पञ्जिकाकार (नाम ?) II. १४२०२। पटना 11. २६,२७ III. ६४,१६।१२१,२५॥ पट्टन (गुजरात) 1. ६२४.१६।६२७,६ । पणिपुत्र (=पाणिनि) I. १९३,२२। पंण्डितराज जगन्नाथ (द्र जगन्नाथ पण्डितराज' शब्द) पतञ्जलि (योग सूत्र प्रवक्ता) I. ३६३,६-७॥३६४,१ । पतञ्जलि (योग व्यास भाष्य आदि में उधृत सांख्याचार्य) I. पतञ्जलि (चरक संहिता का संस्कर्ता) I. ३६३,१५,१६। तथा ३६४,१.२ । पतञ्जलि (आङ्गिरसगोत्रीय) I. ३६४,२० । पतञ्जलि (निदान सूत्र प्रवक्ता.) I. ३६३,६७ । पतञ्जलि (महाभाष्यकार) I. १०,६।२२,२६।३३,२५३३६,२। इत्यादि बहुत्र । II. १०,२५॥१४,१८११६६।३०,४।इत्यादि -- बहुत्र । II. ५,११११८६/२३,११॥ इत्यादि बहुत्र । पदकार (महाभाष्यकार) I. ३५६,१८॥३६०,३। पदशेषकार I. ४७३,१३॥ पदम (वाहद का भाई) I. ७११,२७ ।। पदमञ्जरीकार (कृत्) (हरदत्त) II. ३,१ III.६,२ । पद्म (नीलकण्ठ गार्य संन्यासाश्रम का नाम) II. ४५२.१६ । (नीलकण्ठ गार्म्य शब्द भी देखें)। पद्मकुमार (हरदत्त के पिता) ४७४.१२। - ... भाग १, पृष्ठ ७६,२८ मैं अल से पाञ्चालचण्ड' छपा है, उसे २. विभिन्न स्थानों में दोनों ही नाम प्रयुक्त हुए है।

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