Book Title: Sanskrit Jain Nitya Path Sangraha
Author(s): Pannalal Baklival
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
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मोक्षशास्त्रम् स्त्रित्रिपंचभेदाः सम्यक्त्वचारित्रसंयमासंयमाच ॥५॥गतिकषायलिंगमिथ्यादर्शनाज्ञानासंयतासिद्धलेश्याश्चतुश्रतुस्त्येकैकैकैकपड्भेदाः॥६॥ जीवभव्याभव्यत्वानि च ॥७॥ उपयोगो लक्षणं ॥८॥स द्विविधोऽष्टचतुर्भेदः॥९॥ संसारिणो मुक्ताश्च ॥ १०॥ समनस्कामनस्काः ॥ ११ ॥ संसारिणस्त्रसस्थावराः ॥ १२ ॥ पृथिव्यतेजोवायुवनस्पतयः स्थावरा: ॥१३॥ द्वौद्रियादयस्त्रसाः ॥१४॥ पंचेंद्रियाणि ॥१५॥ द्विविधानि ॥ १६॥ निर्वृत्त्युपकरणे द्रव्येंद्रियं ॥१७॥ लब्ध्यु

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