Book Title: Sanskrit Jain Nitya Path Sangraha
Author(s): Pannalal Baklival
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha

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Page 146
________________ - - - मोतशास्त्रम् सुवर्णधनधान्यदासीदासकुप्यप्रमाणातिकमाः ॥ २९॥ अर्धाधस्तिर्यग्व्यतिक्रमक्षेत्रवृद्धिस्मृत्यंतराधानानि ॥ ३०॥ आनय: नप्रेष्यप्रयोगशब्दरूपानुपातपुद्गलक्षेपाः॥३१॥ कंदर्पकौत्कुच्यमौखर्यासमीक्ष्याधिकरणोपभोगपरिभोगानर्थक्यानि॥३२॥ योगदुःप्रणिधानानादरस्मृत्यनुपस्थानानि ॥ ३३॥ अप्रत्यवेक्षिताप्रमार्जितोत्सर्गादानसंस्तरोपक्रमणानादरस्मृत्यनुपस्था.. नानि ।। ३४॥ सचित्तसंबंधसंमिश्राभिषवदुःपकाहाराः ॥३५॥ संचितनिक्षेपापिधानपरव्यपदेशमात्सर्यकालातिकमाः ॥३६॥ .

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