Book Title: Sanskrit Jain Nitya Path Sangraha
Author(s): Pannalal Baklival
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
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मोतशास्त्रम् . . . . Ev१ . जीवितमरणाशंसामित्रानुरागसुखानुबंधनिदानानि ॥ ३७॥ अनुग्रहार्थ खस्यातिसर्गों दानं ॥३८॥ विधिद्रव्यदातृपात्रविशेषात्तद्विशेषः॥३९॥ . ... . इति तत्त्वार्थाधिगमे मोक्षशास्ो सप्तमोऽध्यायः ॥७॥
मिथ्यादर्शनाविरतिप्रमादकषाययोगा बंधहेतवः ॥१॥ सकषायत्वाजीवः कर्मणो योग्यान्पुद्गलानादत्तेस बंधः॥२॥ प्रकृतिस्थित्यंनुभागप्रदेशास्तद्विषयः ॥३॥ आयो ज्ञानदर्शनावरणवेदनीयमोहनीयायुनामगोत्रांतरायाः ॥ ४॥ पंचनव

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