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सुलमजैन-ग्रंथमाला। आजकल बहुतसे धन-लोलुपी घुकसेलर पतले फायज थोरबारीक.. अक्षरों में. मांसफे वेलनसे अनेक ग्रन्थ छपा छपाकर उनकी दुगुणी तिगुणी न्योछावर रखकर लवे चौड़े स्तहार के देकर भोले भाले जैनी भाइयोंको उग रहे हैं, और महा अपवि. त्रतासे छपेहुये ग्रंथोंका प्रचार कर रहे हैं, इसकारण संस्थाने यह. 'सुलभ जैनथ: माला' प्रकाशित करना प्रारंभ किया है । इस ग्रंथ-मालामें दर्शन-पाठ सत्र भक्तामरसे: आदि लेकर हरिवंशपुराण पद्मपुराण आदि बड़े २ भाषा प्राय सर्व साधारण. माइयोंके । हितार्थ छपाकर बहुत थोड़ी न्योछावरमें देनेका बीडाउठाया है। अतः सव भाइयोंको. सबसे सस्ती न्योछावरमें कपडेके वेलनसे चिकने पुष्ट कागजों में बडे.२ अवरोंमें : पवित्रताके साथ छपे हुये ग्रन्थ इसी संस्थासे लेना चाहिये, संस्थाकी वरावर सस्ती