Book Title: Sanskrit Jain Nitya Path Sangraha
Author(s): Pannalal Baklival
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha

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Page 145
________________ . १६.. पोक्षशाखम सल्लेखनां जोषिता ॥ २२॥ शंकाकांक्षाविचिकित्सान्यदृष्टिप्रशंसासंस्तवाः सम्यग्दृष्टरतीचाराः ॥ २३॥ व्रतशीलेषु पंच पंच यथाक्रम ॥ २४॥ बंधवधच्छेदातिभारारोपणानपाननिरोधाः ॥२५ ॥ मिथ्योपदेशरहोभ्याख्यानकूटलेखक्रिया: न्यासापहारसाकारमंत्रभेदाः॥२६॥ स्तेनप्रयोगतदाहृतादानविरुद्धराज्यातिक्रमहीनाधिकमानोन्मानप्रतिरूपकव्यवहाराः।। ॥२७ ॥ परविवाहकरणेत्वरिकापरिगृहीताऽपरिगृहीतागम. नानंगक्रीडाकामतीव्राभिनिवेशाः ॥२८॥ क्षेत्रवास्तुहिरण्य

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