Book Title: Sanskrit Jain Nitya Path Sangraha
Author(s): Pannalal Baklival
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
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सोचमानमः .. णामक्रियाः परत्वापरत्वे च कालस्य ।। २२ ।। स्पर्शरसगंधवर्ण'वंतः पुद्गलाः ॥ २३॥ शब्दबंधसौक्षम्यस्थौल्यसंस्थानभेदतमश्छायातपोद्योतवंतश्च ॥ २४॥ अणवः स्कंधाश्च ॥२५॥ भेदसंघातेभ्य उत्पद्यते ॥ २६ ॥ भेदादणुः ॥२७॥ भेदसंघाताभ्यां चाक्षुषः ॥२८॥ सद्रव्यलक्षणं ॥२९॥ उत्पादव्ययधौ: व्ययुक्तं सत् ॥३०॥ तद्भावाव्ययं नित्यं ॥३॥ अर्पितानर्पित: -सिद्धेः ॥३२॥ स्निग्धरूक्षत्वाद्वंघः ॥ ३३॥ न जघन्य. "गुणानां ॥ ३४॥ गुणसाम्ये सहशानां ॥३५॥ द्वयाधिका

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