Book Title: Sanmati Tark Prakaran Part 02
Author(s): Abhaydevsuri
Publisher: Divya Darshan Trust

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Page 11
________________ ६-बुद्धचारूढाकारपदार्थवादिमतम् ३४ प्रतिभास्वरूप वाक्यार्थ के पक्ष में प्रतिज्ञा में ५.अभिजल्पप्राप्त शब्द ही शब्दार्थ है ३४ बाध ६-बाह्यवस्तुरूप से अध्यस्त बुद्धिगताकार शब्दार्थ ३४ गो-शाबलेय आदि शब्दों में पर्यायवाचित्व बुद्धिगताकारवाद और अपोहवाद में भेद आपत्ति ७-प्रतिभापदार्थवादिमतम् ३६ अवस्तुभूत अपोहपक्ष में पर्यायता की आपत्ति ७-प्रतिभापदार्थ शब्दार्थ है ३६ ध्रुव १-अस्त्यर्थवादिमतनिरसनम् ३७ अन्तरंग आधार से अपोह का भेद असिद्ध १-अस्ति अर्थ शब्दार्थ नहीं है ३७ अपोह्य के भेद से अपोहभेद असम्भव २-समुदायपदार्थवादिमतनिरसनम् ३८ साजात्य के विना अश्व में भी अगोऽपोह की ३-४ असत्पसम्बन्ध, असत्योपाधिसत्यपदार्थ आपत्ति निरसनम् ३८ स्वलक्षणादिवत् अपोह में भी संकेत का ५-६ अभिजल्पबुद्धयारूढाकारपदार्थवादिमतद्वपनि- असम्भव रसनम् ३८ अपोह में संकेत की अशक्यता का बोधक २-समुदाप शब्दार्थ नहीं है अतिप्रसंग ३-४ असत्यसम्बन्ध, असत्योपाधिसत्य शब्दार्थ विधिस्वरूप शब्दार्थ की प्रसिद्धि नहीं ३८ अनील-उत्पल शब्दों में विशेषण-विशेष्यभाव ५-६ अभिजल्प और बुद्धि-आकार शब्दार्थ असंगत नहीं है ३८ अपोह की विशेषणता का असम्भव ७-प्रतिभापदार्थवादिमतनिरसनम् ३९ अननुरूप विशेषण होने की सम्भावना मे ७-प्रतिभा शब्दार्थ नहीं है क्षति विवक्षापदार्थवादिमतमुल्लिख्य तन्निरसनम् ४० अन्यव्यावृत्ति शब्द-लिंग का विषप नहीं शब्द से अर्थविवक्षा का अनुमान ४० अपोहों में परस्पर वैलक्षण्य-अवैलक्षण्य विकल्प वैभाषिकमतं निर्दिश्य तन्निरसनम् ४२ अभाव को वस्तुरूप मानने पर अन्योन्याश्रय नामसंज्ञक संस्कार शब्दविषय-वैभाषिक वासनाभेद अपोहभेद का प्रपोजक होना 'निषेधमात्रमेव अन्यापोहः' असम्भव इति मत्वा कुमारिलकृताक्षेपोपन्यासः ४३ __ अपोह के वाचक अपोहात्मक शब्द का निषेधमात्र अन्यापोह में विरोधादि प्रदर्शन अभाव अपोहवाद में 'गो' शब्द से गोबुद्धि का विशेषण-विशेष्यभाव, सामानाधिकरण्य की अनुदय अनुपपत्ति पर्युदासरूप अपोह होने पर सिद्धसाधन दोष ४४ नीलोत्पल शब्द में सामानाधिकरण्प असंभव पर्युदासरूप अपोह गो-आदि स्वलक्षणात्मक अनीलापोहादि की आधेपता में शब्दवाच्यत्व नहीं है असम्भव प्रसज्यरूप अपोह-पक्ष में प्रतिज्ञाबाध ४६ अपोह में लिंग-संख्यादि का सम्बन्ध अशक्य Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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