Book Title: Sanch Ko Aanch Nahi
Author(s): Bhushan Shah
Publisher: Chandroday Parivar

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Page 7
________________ G000 सांच को आंच नहीं" 0902 की (साधुओं की) जानकारी परिचय पाना हो तो सिरोही के पटनीजी के पास पहोंचे” इसमें लेखकश्री ने इतना भी विचार नहीं किया कि ये सब विशेषण दुसरे को देने गये परंतु खुद को ही लागू हो रहे है । चूँकि जो व्यक्ति कब के चल बसे है, उनके पास वाचकों को पहोंचाते हो, इसे धूर्ताई नहीं तो क्या कहे ? ___लेखक श्री ‘जैनागम सिद्ध मूर्तिपूजा' पुस्तक की प्रस्तावना एवं हृदय की बात बराबर पढते तो, शायद ऐसी मिथ्या बकवासवाली पुस्तिका छपवाने का कष्ट नहीं लेते । सिर-धड बिना की विवादपूर्ण 'जैनागम विरुद्ध मूर्तिपूजा' की नयी - नयी आवृत्तियाँ छपवाकर प्रचार करनेवालों का बुद्धि का उफान है या मूर्तिपूजकों का, विचार करें। मूर्तिपूजकों ने तो विरोध का जवाब ही दिया ___शंकाए सही समाधान नहीं' पुस्तिका वास्तविक यथा नाम तथा गुण है । उसके उत्तर देने की निरर्थक कोशिश की है । उसमें प्राय: प्रश्नों के समाधान नहीं हो पाते है । जिसमें निंदा - टिप्पणी की, पाली से प्रकाशित उस पुस्तक का नाम लिखना था पर बिना परिचय उसके बारे में क्या बात कर सकते हैं ? शांति समन्वय के जमाने में विवाद करने की बात लेखक श्री को ही लागु पडती है, यह काम तो खुद ने ही किया हैं, गुमनामी तीर फेंका है और मोबाईल नं. देकर बात करने का मना किया है। - भूषण शाह 3

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