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( १६ )
दवे वीर्यगंधनां लक्षणो कहे बे.
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जे वीर्य मत्स्यना सरखी गंधवालुं होय, ते उत्तम जाण अने तेथी पुत्र तथा धननो समूह मलें बे, छाने घी सरखी गंधवालुं जो वीर्य होय तो पशु छाने धन मले बे, तथा जो हस्तिमदना सरखी गंधवालुं वीर्य होय, तो ते माणस शूरो थाय. कमलना सरखी गंधवायुं जो वीर्य होय तो लक्ष्मीवान् याय, तथा मध सरखी गंधवालुं होय तो महान् याय, अने लाखना सरखी गंधवालुं जो होय, तो ते माणस निर्ल ने निर्धन याय, अने मांस सरखी गंधवालुं होय, तो ते दुर्बुद्धि थाय; जो रुधिरना सरखी गंधवालुं होय, तो ते व्यसनी जे विषयी होय, अने विष्ठा सरखी गंधवालुं जो वीर्य होय, तो ते निश्चे करीने निर्गुणी अने दुःखी होय. वली जेना वीर्यनी गंध कवी होय, ते माणस कपटी तथा अपजशवालो होय, तथा जेनुं वीर्य राख सरखी गंधवालुं होय, ते माणस धन रहित थाय.
हवे माणसोना रंगनुं स्वरूप कहे बे. जेनो रंग दूध सरखो सफेद होय, ते महान् राजा थाय, तथा जेनो रंग श्याम होय, ते सुखोनो जो
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