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(१३) तथा जेनी जंघाउँ गधेमा सरखी होय, तेने पण दुष्ट जाणवो, तथा जेनी जंघा कागमा सरखी होय, ते राजा थाय, एम सामुधिक शास्त्र कहे जे.
हवे रोमनुं लक्षण कहे . जो एक रोम होय, तो ते राज्यलोग जोगवे , तथा बे रोम होय तो घणुं धन मेलवे ,त्रण रोम होय तो बहुज विद्वान् थाय, तथा घणां रोम होय, तो दरिद्धी थाय.
- हवे गतिनुं सक्षण कहे जे. जेनी जंघा लांबी होइने, उत्ताल गतिवालो जे होय, तेने राजा सरखो जाणवो; तथा जेनी सिंह सरखी जंघा होय अने उतावली गतिए चालतो होय, ते धनवान् तथा राजा थाय, तथा तेनी कीर्ति जगत्मा फेलाय, अने सहु को तेनी चाहना राखे.. जेनी गति वांदरा सरखी होय, ते माणस राजानो प्रधान थाय, तथा जेनी मत्स्यना जेवी गति होय, ते राजा थाय, तथा तेनुं पराक्रम पण अति उत्कृष्ट थाय. जेनी जंघा रोम रहित अने जामी होय, ते माणस फुःखी अने दीन होय, तथा ते क्षणे दणे रोगी थाय, अने वली ते बुद्धि विनानो थाय.
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