Book Title: Samdesarasaka of Abdala Rahamana
Author(s): Abdul Rahman
Publisher: Prakrit Granth Parishad

View full book text
Previous | Next

Page 100
________________ 93 GUJARATI TRANSLATION पहेलो प्रक्रम हे सुज्ञजनो! धरती, सागर, पर्वतो, वृक्षो अने गगनांगणमांनां नक्षत्रो - ए बधार्नु जेणे आद्यसर्जन कर्यं ते स्त्रष्टा तमारु कल्याण करो. (१). हे नागरिको। मनुष्यो, देवो अने विद्याधरो अने आकाशमार्गमांनां सूर्य अने चंद्रनां बिंबो - ए सौ जेने नमन करे छे ते किरतारने तमे नमन करो. (२) पश्चिम दिशामां पहेलेथी प्रसिद्ध अने मुख्य एवो म्लेच्छदेश छे. ए देशमां मीरसेन नामनो वणकर थयो. (३). तेनो अब्दल रहमान नामनो, प्राकृत काव्यो अने गीतोनी रचना माटे प्रसिद्ध एवो कुळकमळ पुत्र छे, जेणे आ 'संदेशरासक' रच्यो छे. (४) शब्दशास्त्रमा कुशळ एवा पुरोगामी सुकविओने अने विदग्धोने मारा नमस्कार, जेमणे त्रण लोकमां विख्यात बनेला सुंदर पद्यो रच्यां अने जेमणे तेवां उत्तम पद्यो चींघी बताव्यां. (५). वळी जेमणे अपभ्रंश, संस्कृत, प्राकृत अने पैशाची भाषामां सुकवित्वने लक्षण, छंद अने अलंकारथी विभूषित कर्यु. (६). तेमनी पाछळ पाछळ आवता अमारा जेवा श्रुति अने शब्दशास्त्रथी वंचित लोकोना लक्षण अने छंद विनाना कुकवित्वनी, भला ! कोण प्रशंसा करे? (७) अथवा तो एमां कशुं वांधा जेवू न पण गणाय. रात्रीसमये चंद्र ऊग्यो, तो तेथी शुंघरमा रात्रे दीवो नथी प्रगटावातो? (८). वृक्षनी टोचे कोकिलाओ सरस अने अतिमनोहर टहकार करे, तो तेथी शुं घरने छापरे बेठेला कागडाओए काका न करवू? (९). कोमळ करोथी बजावाती वीणानुं धराईने श्रवण कयें, तो तेथी शं रमणीओनी रमतमां वगाडातां मृदंग अने करवाद्यनो धमकार न सांभळवो? (१०). मदमत्त ऐरावतनो कमलदलना दुर्धर मधमघाट जेवो मद झरे, तो तेथी | बीजा गजोए मदमां न आवq? (११). इंद्रभुवनमां विविध सुगंधसभर पुष्पोना आमोदवाळो पारिजात खील्यो होय, तो तेथी शुंबीजां पुष्पवृक्षोए न खीलवू? (९२). त्रण लोकमां जेनो प्रभाव नित्य प्रकटित थाय छे, तेवी गंगा नदी सागर प्रति वहे, तो तेथी | बीजी नदीओए न वहेवू? (१३). निर्मळ सूर्योदय थतां सरोवरमां कमलिनी खीली ऊठी, तो तेथी | वाडे वळगेली तूंबडीने केमेय न खीलवू? (१४). भरतनाट्यना भावयुक्त छंदोने अनुसरीने नवरंगे लावण्यवती कोई तरुणी नृत्य करे, तो तेथी शुं गामडानी घेलीए ताळीओना ताले न नाचवू ? (१५). भरपूर दूधवाळी चोखानी खीर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124