Book Title: Samdesarasaka of Abdala Rahamana
Author(s): Abdul Rahman
Publisher: Prakrit Granth Parishad
View full book text
________________
97
बीजी एकना निबिड, घन, तुंग, स्तनना भारथी तेनो मध्य भाग भांगी पडतो नथी एथी मनमां विस्मय थाय छे. तो बीजी कोईक, आछा काजळवाळी आडी आंखे, कोईकनी सामे मदनोत्तेजक हास्य क रे छे. (४७)
बीजी कोई चतुरा एवं निर्मळ हास्य करेछे के जाणे तेना गाल पर सूर्य अने चंद्र दीपता होय. कोईकना स्तनपट्ट पर कस्तूरीनो गाढ लेप छे, तो कोईकनो भालप्रदेश तीक्ष्ण तिलकथी अलंकृत छे. (४८). कोईकनो स्थूळ रत्नोनी सर वाळो हार, वच्चे मार्ग न मळतां स्तनशिखर पर आमतेम आळोटे छे. कोईकनी ऊंडी नाभि कुंडळाकार छे, अने ते त्रिवलीना तरंगसंपर्के शोभे छे. (४९)
बीजी कोईक भारे विकट जधनने कष्टपूर्वक धरी रही छे, अने तेथी तेनी अतिशय आनंददायक गतिनो चमकारो जलदी विलातो नथी. बीजी सुंदरी मीठे स्वरे बोले छे त्यारे तांबूलथी लाल बनेली तेनी हीरा जेवी दंतपंक्ति प्रगट थाय छे. (५०)
___ बीजी एकनुं अधरदल, करमकमल अने सरल बाहुयुगल शोभे छे. बीजी एक तरुणीनी करांगुली उज्ज्वल अने निर्मळ छे, तो बीजी एकना गाल दाडिमपुष्पना दळ समा देखाय छे.(५१) . कोईकनुं सूक्ष्म भ्रूयुगल एवं लागे छे, जाणे के कामदेवे धनुष्य चडाव्युं छे. कोई एकना नुपूरयुगलनो ऊंचो रणकार, तो बीजीनी रत्नजडित मेखलानुं रुमझुम संभळाय छे. (५२)
बीजी ज्यारे लीलापूर्वक संचरे छे त्यारे चर्मनी मोजडीनुं लंबातुं चमचम एवं लागे छे जाणे आवी पहोंचेली शरदमाां सारसनो ऊठतो स्वर, कोईक झीणा स्वरे मधुर पंचम गाय छे. जाणे के देवो समक्ष थता नाट्यप्रयोगमां तुंबुरुए वाद्यस्वर सज्यो. (५३)
__ आ रीते एक एक वेश्यानुं रूप जोतां जता प्रेक्षकोनां चरण तंबोळथी पींगळा रस्ता पर लपसे छे. जो कोई नगरनी बहार भ्रमणे नीसरे तो त्यां विविध उद्यानो जोईने नगरना भवनोने ते भूली जाय. (५४)
वनराजि वर्णन (५५-६३) हे चंद्रवदनी, कमळनयनी, त्यां बीजां पण जे घणां वृक्षो छे तेमनां नाम कोण जाणे छे? जो बधां वृक्षो पर घडीक दृष्टिपात करतो कोईक चाले तो तेने एमनी लगोलग रहेली घाटी छायामां दस योजन चालवू पडे. (६४)
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124