Book Title: Samboha Panchasiya
Author(s): Gautam Kavi
Publisher: Bharatkumar Indarchand Papdiwal

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Page 3
________________ मेह पंवासिया दो शब्द स्वाध्याय मेरा अविभाज्य अंग है और उन्ह भी । मैं परिणामविशुद्धि व चारित्रशुद्धि के लिये स्वाध्याय में लीन रहने का सतत प्रयत्न करता हूँ । पचेवर में आने के बाद संस्कृत व्याकरण के ज्ञान को पुष्ट करने की मेरी भावना हुई । सोचा कि व्याकरणसूत्रों को सीखते समय अनुवाद करता जाऊँ ताकि प्रायोगिक ज्ञान की प्राप्ति हो। इसी चिन्तन से मैंने सरल ग्रन्थ की खोज प्रारम्भ की, यहाँ के ग्रन्थ भण्डार में मुझे श्री सम्बोध पश्चासिकादि संग्रह नामक ग्रन्थ मिला । यह पुस्तक डॉ. पं. पन्नालाल जी साहित्याचार्य के द्वारा अनुवादित है तथा नागौर से श्री दिगम्बर प्राचीन ग्रन्थ प्रकाशन समिति के द्वारा प्रकाशित हुई है। श्री दिगम्बर जैन प्राचीन शास्त्र भण्डार में यह प्रति संग्रहीत थी । ग्रन्थ में प्रारम्भिक दशा के संस्कृत का प्रयोग है तथा मात्र ५१ गाथायें हैं। विषय विवेचन भी सर्वसामान्य है । सम्बोधनरूप हेतु को मन में रखकर ग्रन्थकार ने ग्रन्थ लिखा है। अतः ग्रन्थ बहुत सरल हैं। यह देखकर अनुवाद करने की भावना बलवती हुई । फलतः १४ जुलाई १९९४ को मैंने टीका का कार्य आरम्भ किया । भगवान महावीर के गर्भकल्याणक के दिन प्रातःकाल आचार्य गुरुदेव का मनःपूर्वक स्मरण कर अन्धानुवाद प्रारम्भ किया । दिनांक = १४-७-११९४ 1७ गाथाओं का अनुवाद किया। दिनांक १५-७-११९४ किया १० गाथाओं का अनुवाद १० गाथाओं का अनुवाद किया I = १६-७-१९९४ दिनांक दिनांक = १७-७-१९९४ ५ गाथाओं का अनुवाद किया। दिनांक | ५ गाथाओं का अनुवाद - १८-७-१९९४ : किया 1 १९-७-१११४ १ गाथाओं का अनुवाद किया। दिनांक दिनांक =20-19-9388 ५ गाथाओं का अनुवाद किया। = - - - - I

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