Book Title: Samaysara Chayanika Author(s): Kamalchand Sogani Publisher: Prakrit Bharti Academy View full book textPage 5
________________ प्रकाशकीय डॉ कमलचदजी सोगाणी द्वारा चयनित एव सम्पादित "समयसार-चयनिका" नामक प्रस्तुत पुस्तिका प्राकृत भारती के 52वें पुष्प के रूप में प्रकाशित हो रही है । जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि यह चयनिका आचार्य कुन्दकुन्द के समयसार ग्रन्थ के आधार पर तैयार की गई है। आचार्य कुन्दकुन्द अपने समय के जैन सैद्धान्तिक साहित्य एव शौरसेनो प्राकृत के दिग्गज विद्वान् ही नहीं, अपितु जैन परम्परा प्रसूत अनेकान्तवाद के प्रबल पक्षघर एव प्रचारक भी थे। जैन परम्परा ने इन्हे न केवल विशिष्ट प्रतिभा सम्पन्न मनीषि ही माना है अपितु प्रात स्मरणीय मगलकारी प्राचार्य भी माना है। जिस प्रकार श्वेताम्बर परम्परा ने भगवान् महावीर और गौतम गणघर के पश्चात् स्थूलभद्र आदि को मगलकारक माना है वैसे ही दिगम्बर परम्परा ने भगवान् महावीर और गौतमगणि के अनन्तर आचार्य कुन्दकुन्दर आदि को मगलकारक मानकर श्रद्धास्पद स्थान दिया है। प्राचार्य कुन्दकुन्द-निर्मित मुख्यत 5 कृतियाँ हैं - 1 अष्टपाहुड, 2 नियमसार, 3. प्रवचनसार, 4 पचास्तिकाय और 5. समयसार । इनका समग्र साहित्य आज के सन्दर्भ मे अध्ययन और प्रचार-प्रसार की दृष्टि से सर्वोपरि माना जाता है। 1 मगर भगवान् वीरो मगल गौतमो प्रभु । मगल स्थूलभद्राद्या, जैन धर्मोस्तु मंगलम् ।। 2 मगल भगवान् वीरो, मगल गौतमो गणि । मगल कुन्दकुन्दाद्या , जैन धर्मोस्तु मगलम् ॥Page Navigation
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