Book Title: Samaysar Natak
Author(s): Banarsidas Pandit
Publisher: Banarsidas Pandit
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करे सो वस्त न गहे । एते देस बसके धरैया समकिती जीव, • ग्यारह प्रतिमा तिन्हे भगवन्तजी कहे ॥२८॥ दोहा-संयम अंसजग्योजहाँ; लोग अरुचि परनाम।
उदे प्रतिज्ञाको भयो, प्रतिमा ताको नाम ॥ २६॥ आठ मूलगुण संग्रह, कुवसन क्रिया न कोइ।
दर्शन गुन निर्मल करे, दर्शन प्रतिमा सोइ ॥३०॥ '. पंच अनुजत आदरे, तीन गुण ब्रत पाल । .... लिक्षात च्यारो धरे, यह ब्रत प्रतिमा चाल ॥ ३१॥ ..
दर्वभाव विधि संजुगत, हिये प्रतिज्ञा टेक।.:.. ताज समता समता गह, अतर मुहुरत एक.॥.३२।।
........ चौपाई। जोआरमिन्न समान विचारें। आरत रुद्र कुध्यान निवारै। संजमसहित भावना भाके । सो सामायकवंतकहाचे ॥३॥ दोहा-सामाचक कीसी दला, चार पहर लो होइ ।
अथवा आठपहररहे, पासह प्रतिमा सोइ ॥३४॥ जो सचित्त भोजन तजे, पीवे प्रासुक नीर । सो सचित्त त्यागी पुरुष, पंच प्रतिज्ञा गीर ॥
. चौपाई। जो दिन ब्रह्मचर्य व्रतपाले । तिथिमायेनिशिौस सँभाले। गहिनौवाडीकरै ब्रत रक्षा । सोषटप्रतिमासाधकअक्षा॥३६॥ जोनवाडिसहितविधि साधे । निशिदिन ब्रह्मचर्याराधे॥ सोसतमप्रतिमारज्ञाता।शीलशिरामनिजगतविख्याता३७ .. कवित्त छंद-तिय थल बाल.प्रेम: रुचिःनिरखन, दे परीक्ष भाषन मधु वेन । पूरबभोग केलि रसचिन्तन, गुरु आहार
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