Book Title: Samaysar Natak
Author(s): Banarsidas Pandit
Publisher: Banarsidas Pandit

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Page 121
________________ . . (१२०) सहससाहिसिरसुकुटमील,साहजहाँसुलतान । जाके राज सुचनलों, कीनो आगम सार। इति भीती व्यापी नहीं, यह उनको उपगार ।। .. अब सवका ठीक कथन । · सवैया इकतीला-तीनसें दसोत्तर सोरठा दोहा दोड, जुगलसें तेतालील इकतीसा आने हैं । छ। चौपाईये लेतील तेइसे लगे, होल छप्पै अठारह । वखाने हैं ॥ ललत हुनिही डिल्ले. चारि कुंडली सकल लातसे सत्ताईस ठीकाठाने हैं । बत्तील SM चलोक कीने ताके लेख अथ संख्या सत्रहसें सारी दोहा सायनारा तालहरन नाटक आव अनंत । लोह भागत नाम में, परमारथ विरतत ॥ ७२६ । इति परगागा वीच पारनाईक चाम तिब्दांत संपूर्णम् श्री रस्तु.. . .

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