Book Title: Samansuttam Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 166
________________ ? (खण) + (एव) ] [ ( पुण्ण ) - ( ख ) 3 / 1 ] एव (प्र) = ही निव्वाणं (रिव्वाण) 1 / 1। 108 कम्ममहं [ (कम्मं ) + (प्रसुहं ) ] कम्मं ( कम्म) 1 / 1 । असुहं ( प्रसुह ) 1 / 1 वि । कुसीलं ( कुसील) 1 / 1 वि । सुहकम्मं [ ( सुह ) - (कम्म) 1 / 1] | धावि (प्र) = और। जारण (जाण) विधि 2 / 1 सक । व ( अ ) = पाद पूरक | सुसीलं ( सुसील ) 1 / 1 वि । कह (प्र) = कैसे । तं (त) 1 / 1 सवि । होदि (हो) व 3 / 1 प्रक। सुसीलं ( सुसील ) 1 / 1 वि । जं ( ज ) 1 / 1 सवि । संसारं (संसार) 2 / 1 । पवेसेदि (पवेस) व 3 / 1 सक | । 109 सोवणियं (सोवणिय ) 1 / 1 वि 1 / 1 पि (प्र) = भी। गियलं (गियल ) बंधवि (बंध) व 3 / 1 सक । कालायसं [ (काल) + (प्रायसं ) ] [ ( काल ) वि - ( प्रायस) 1 / 1 वि] । पि (प्र) = और। जह (प्र) = जैसे । पुरिसं ( पुरिस) 1 / 11 बंधदि ( बंध) व 3 / 1 सक। एवं ( अ ) = वैसे ही । जीवं (जीव ) 2 / 1 हमसुहं [ ( सुहं ) + (सुहं ) ] सुहं ( सुह) 1 / 1 विप्रसुहं ( सुह ) 1 / 1 वा (आ) = भी। कवं ( कद ) भूकृ 1 / 1 प्रनि । कम्मं (कम्म) 1 / 1 | वि 110 तम्हा (प्र) = इसलिए । डु (प्र) = तो । कुसीलेंहि (कुसील) 3 / 2 वि । = य ( अ ) = बिल्कुल । रायं (राय) 2 / 1 मा ( प्र ) मत । कुणह ( कुरण) । विधि 2 / 2 सक । व (प्र) = श्रर । संसगं (संसग्ग) 1 / 1 । साहीगो ( साहीण) 1 / 1 वि । हि (अ) = क्योंकि । विणासो (विरणास ) 1 ) 1 । फुसीलसंसग्गरायेण [ ( कुसील ) - ( संसग्ग ) - (राय) 3 / 1 ] । 111 वरं ( अ ) = अधिक अच्छा । वयतवेहि [ ( वय ) - ( तव ) 3 / 2 ] । सग्गो (सग्ग) 1 / 1 | मा ( अ ) = न । दुक्खं ( दुक्ख ) 1 / 1। होउ (हो) व 3 / 1 अंक | जिरह (रियरिर) 7 / 1 अपभ्रंश । इयरेहिं ( इयर ) 3/2 वि । छायातवट्ठियाणं. [ (छाया) + (मातव) + (ट्ठियाणं ) ] [ (छाया) - ( प्रातव) - (ट्ठिय) भूकृ 6/2 अनि ] । पडिवालताण ( पडिवाल) वकृ चयनिका ]. Jain Education International For Personal & Private Use Only [ 133 www.jainelibrary.org 1

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