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1/2 स । विउस्सिया (विउस्सिय) 1/2 वि । 170 गाणाजीवा-[(णाणा) वि'-(जीव) 1/2] । गाणाकम्मं [(णाणा)
वि'-(कम्म) 1/1] । गाणाविहं (णाणाविहा) 2/1 वि । हवे (हव) .. व 3/1 अक । लखी (लद्धि)1/1 | तम्हा (अ)= इसलिए । वयणविवाद [(वयण)-(विवाद) 2/1] । सगपरसमहि' [(सग) स्वार्थिक 'ग' प्रत्यय वि-(पर) वि-(समग्र) 3/2] । वज्जिज्जा (वज्ज) विधि 2/1 सक। . 1. समास के प्रारम्भ में विशेषण के रूप में प्रयुक्त होता है । . (संस्कृत हिन्दी कोश)। 2. कभी कभी प्रथमा विभक्ति के स्थान पर द्वितीया का प्रयोग होता
है। (हेम प्राकृत व्याकरण : 3-137 की वृत्ति) 3. कभी कभी पंचमी विभक्ति के स्थान पर तृतीया विभक्ति का
प्रयोग होता है । (हेम प्राकृत व्याकरण : 3-136) 4. 'ज्जा' प्रत्यय जोड़ने के पश्चात् शब्द के अन्त्य 'अ' को 'इ' हो
जाता है या 'ए' हो जाता है.। (हेम प्राकृत व्याकरण : 3-177 की वृति)।
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