Book Title: Samansuttam Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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(इच्छे)] सहायं (सहाय) 2/1 इच्छे (इच्छ) विधि 3/1 सक । निउणत्यबुद्धि [(निउण) + (प्रत्थ)+(बुद्धि)] [(निउण) वि-(प्रत्य)(बुद्धि) 2/1] । नियमिच्छेन्ज [(निकेयं)+ (इच्छेज्ज)] निकेयं (निकेय) 2/1 इच्छेज्ज (इच्छ) विधि 3/1 सक । विवेगजोग्ग [(विवेग)-(जोग्ग) 2/1] | समाहिकामे [(समाहि)-(काम) 1/1 वि]
समणे (समण) 1/1 तवस्सी (तवस्सि) 1/1 वि। . 150 हियाहारा [(हिय)+ (माहारा)] [(हिय) वि-(माहार) 5/1] ।
मियाहारा [(मिय)+ (माहारा)] [(मिय) वि-(माहार) 5/1] । मप्पाहारा [(अप्प)+ (आहारा)] [(अप्प) वि-(माहार) 5/1]। 4 (अ) = और । जे (ज) 1/2 सवि । नरा (नर) 1/2 1न (अ)=नहीं ते (त) 2/21 विज्जा (विज्जा) 1/2 । तिगिच्छति (तिगिच्छ) व 3/2 सक । अप्पाणं (अप्प) 6/2 ते (त) 1/2 सवि । तिगिच्छगा
(तिगिच्छग) 1/2 वि। 151 विवित्तसेनाऽसणअंतियानं [(विवित्त) + (सेज्जा)+(प्रासण)+
(जंतियाणं)] [(विवित्त) भूक अनि-(सेज्जा)-(प्रासण)-(जंत)+ भूक 6/2] | मोमाऽसगाणं [(मोम)+ (असणाणं)][(मोम)-(प्रसरण)1 6/2] । बमिवियाणं [(दमित्र) + (इंदियाणं)][(दम) भूकृ-(इंदिय)। 6/2] प्र=नहीं ] रागसत्त [(राग)-(सत्तु) 1/1] । धरिसेड (धरिस) व 3/1 सक । चितं (चित्त) 2/1 । पराइओ (पराइ) भूक 1/1। बाहिरिवोसहेहि [(वाहि)+ (रिउ) + (प्रोसहेहिं)] [(वाहि)-(रिउ)(प्रोसह) 3/2] । 1. कभी कभी तृतीया विभक्ति के स्थान पर षष्ठी का प्रयोग पाया
जाता है (हेम प्राकृत व्याकरण 3-134)। ... 152 जुरा (जरा) 1/1 । जाव (प्र) = जब तक । न (अ)= नहीं। पिलेह (पील) व 3/1 सक । वाही (वाहि) 1/1 । वड्ढई। (वड्ढ) व 3/1
1. छंद की मात्रा की पूर्ति हेतु 'इ' को 'ई' किया गया है। चयनिका ]
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