Book Title: Samadhi Maran Patra Punj
Author(s): Kasturchand Nayak
Publisher: Kasturchand Nayak

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Page 3
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir द्वारा मानने वाले तर्क द्वारा ९ ३ शरीर भी परद्रव्य है शरीर परद्रव्य है ९ १२ स्वयं को करना स्वयं को ही करना ९ १५ ही, है ही है। ९ २०-२१ जाओ और बाह्य जाओ । बाहा १० ६ अभ्यंतर आभ्यंतर १० ७ वृद्धिपूर्वक बुद्धिपूर्वक १० १५ सास्वत शास्वत १० १९ उपदेश कर उपदेश करना कि ११ ९ शतसः शतशः १२ ३ करा देती है करा देता है १३ ८ अद्भुति उद्भूति १४ ४ वह अभी वह अभी १४ ७ प्रानुसंगिक आनुषंगिक १४ ९ कृषता कर कृशताकर १४ १२ चाहिये चाहिये। १४ १३ अागमज्ञान ही प्रागमज्ञान की १४ १५ महत् महान् १४ १७ यावान यावान् १५ ७ बाह्म बाह्य १५ ११ करना । यद्यपि करना यद्यपि For Private and Personal Use Only

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