Book Title: Sajjan Chittavallabh Satik
Author(s): Nathuram Munshi
Publisher: Nathuram Munshi

View full book text
Previous | Next

Page 4
________________ । श्रीसज्जनचित्तवल्लभ सटीक । वीरजिनेंद्र संसारमै जन्मन मरण जरा ये त्रिदोष तिन | कर पीड़ित देव मनुष्य तिर्यंच नर्क गतियों के प्राणी तिनके दुःखों को नाश करने वाले हैं। और कैसाहै ग्रंथ कि भव्य जीवोंको ज्ञानका देनेवाला है और स. ज्जन पुरुषों के चित्तको प्यारा आनंद देनेवाला ऐसा सार्थक सज्जनचित्तवल्लभ है तिसको संक्षेप रूप है सत्पुरुषो तुम सुनो। रात्रिश्चन्द्रमसा बिनाजनिवहैनों भातिपद्माकरो यद्वत्पण्डितलोकव र्जितसभादन्तीवदन्तंविना । पुष्पंग न्धविवर्जितंमृतपतिः स्त्रीचेहतद्वन्म निश्चारित्रेण विनानभातिसततंयद्या प्यसौशास्त्रवान ॥२॥ ॥ भाषाटीका ॥ (हेमुनि ) चारित्र रहित मुनि शोभा नहीं पाता।। जैसे चंद्रमाके बिना अंधियारी रात्रि शोभा नहीं पाती तैसेही कमलों के बिना सरोवर शोभा को नहीं पाता। तथा पण्डित लोगोंके बिना सभा शोभाको नहीं पाती -

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33