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श्रीसन्जनचित्तवल्लम सटीक । १५. नने इसेपोषा, तोभी यह कृनम्न मित्रवन शरीर तेरे साथ नहीं जायगा । तोये जिनको नइष्ट मित्रमानरहा है । और तुझसे प्रत्यन्न भिन्नह सो कैसे तेरेसाथ जायेंगे। तेरेसाथ तो तेरे किएहए पुण्य वा पाप दोही पीछे २ चलेंगे अर्थात् जहांत जन्म लेगा तहांही थे अपना २ फल देने लगेंगे। इससे तू अब रंच मात्र भी शरीर से वा मित्र बांधवों से (संसार में फंसाने । चाला ) रागभाव मतकर यही तुझको परमोपकारी शिक्षा है ॥ ११॥
शोचन्तनमृतं कदापिबनितायद्य स्तिगेहेधनंतचेनास्तिरुदन्तिजीवन धियास्मृत्वापुनःप्रत्यहं कृत्वातहह नक्रियां निजनिजव्यापार चिंताकु लातन्नामापिच विस्मरन्तिकतिभिः सम्बत्सरैःयोपिताः ॥१२॥
॥ भापाटीका ॥ यदि घर में लक्ष्मी हो तो स्त्री भी पति के मन पर शोक संताप नहीं करती है। और जो घर धन
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