Book Title: Sajjan Chittavallabh Satik
Author(s): Nathuram Munshi
Publisher: Nathuram Munshi

View full book text
Previous | Next

Page 30
________________ - ३० श्रीसंज्जनचित्तवल्लम सटीक । कैसी हैं इंद्रियां महादुर्जय जो कठिनता से जीती जा | सकती हैं तिनको संसार (भव भ्रमण) के नाश के लिये रोको अर्थात् अपने वशीभूत करके जप तपादि सम्यक् चारित्र में लगावो इसी में तुम्हारा परम कर ल्याण है और यही श्रीगुरुकी परम हितकारिणी श्रेष्ठ शिक्षा है ॥ २५॥ इति श्री सज्जनचितवनभ काव्य समाप्तम् भाषाटीका मुंशी नाथूराम लगेचू रचिव शुभम्भूयात् ।। "HTRAMAN DUODA

Loading...

Page Navigation
1 ... 28 29 30 31 32 33