Book Title: Punya ka Fal
Author(s): Dharmchand Shastri
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 9
________________ पुण्य का फल वीरवती ने नकली मुस्कान दिखाकर सेठ दत को समझा दिया कि वह प्रसन्न है। 10 वीरवती के नकली व्यवहार से सेठ दत्त प्रसन्न हो गया। उसे क्या पता था कि वीरवती के मन में कौन सादुख है। वीरवती के दरख का कारण था-गारक चोर, जिससे वह प्रेम करती थी। गारक एक रात चोरी करते पकड़ा गया। अगले दिन राजदरबार में महाराज की जय हो! हमने आज गारक चोरको पकड़ लिया है। ये बड़ाही चतुरचोर है।

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