Book Title: Punya ka Fal
Author(s): Dharmchand Shastri
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 18
________________ जैन चित्रकथा सहसभट राजदरबार में सुंदर कपड़े पहनकर उपस्थित था। उससे राजाका अन्याय न देखा गया। ठहरिए महाराज। इस व्यक्तिको मृत्युदण्ड देने से पहले मेरी बात सुनने DD की कृपा करें। MOS यह कौन है? अवश्य ही यह कोई भगवान का भेजा दूत है जो मुझे पुण्य कर्मों का फल देने आया है। वरना यहां मेरी बेगुनाही सुनने वाला कौन है! ZOY महाराज मैं सहसभट चोरहूँ। कौन हो तुम? क्या कहना चाहते हो? A यह सब बता. कर तुमने बहुत अच्छा किया, अन्यथा आज एक बेगुनाह व्यक्ति फांसी) पर चढ़ जाता। GOO 60000 Alina KOOOOOK और फिर सहसभट ने सारी कथा सच-सच सुना दी। 16

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