Book Title: Punya ka Fal
Author(s): Dharmchand Shastri
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 19
________________ पुण्य का फल सिपाहियों सेठ दत्त को छोड़ दो, और इस कुल्टाको पकड़ लो। इसका सिर मुंडवा कर,नगर में घुमाओ और फिर फांसी पर लटकादो। । Toorten ROYoe OOO DOMOOCCere धन्यवाद भाई! तुमने आज मुझे इस कुल्टा के जाल से बचा लिया। नहीं भाई में चोर अवश्य है,पर आज यह पुण्यकर्म करके मैं भी अपने पाप से मुक्त, हो गया। सच है, पुण्यकर्म कभी व्यर्थ नहीं जाते। वे हमारी रक्षा भी करते है और हमें उचित अवसर पर उनका फल भी मिलता है। SOGBB 10००७

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