Book Title: Punya ka Fal
Author(s): Dharmchand Shastri
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 17
________________ पुण्य का फल वीरवती का चिल्लाना सुनकर आस-पड़ोस के लोग आ गए और उन्होंने सेठ दत्त को बांध लिया। T V 900600 सवेरा होने पर सेठ दत्तको राजा के सामने पेश किया गया। महाराज! इस व्यक्ति ने अपनी पत्नी के होंठ काट डाले हैं। हां,महाराज! यह बहुत दुष्ट है। इसने मेरे होठ काटकर मेरी सुंदरता बिगाड़ दी है। S TRY तब लो ये बहुत बड़ा अपराधी है। ठीक है! ले जाओ इसे सूली पर चढ़ा दो।

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