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जैन चित्रकथा
देवलि की बात देवलि जाने। मुझे
यह कमरा इसी समय खाली चाहिए !
आप स्वयं चले जाएं तो अच्छा है, वरना मैं आपको धक्के मारकर बाहर निकाल दूंगा,
मुनिराज ने अपना कमंडल उठाया और बाहर एक पेड़ के नीचे आकर बैठ गए ।
那
क्रोध न
करो! मैंने जाने
के लिए मजा तो नहीं
किया। मैं अभी चला
जाता हूं, पर तुम
शांत रहो।
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आइए साधु महाराज। आप इस कमरे में विश्राम कीजिए !
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