Book Title: Punya ka Fal
Author(s): Dharmchand Shastri
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 10
________________ इसने सैकड़ों चोरियां की है,हत्या की है। अब तक ये हमारी आंखों में धूल कोंककर भागता रहा। जैन चित्रकथा किन्तु आज ये चन्दन सेठ के घर में घुसा । उनके पहरेदारों ने ललकारा तो ये भागा। तभी हमारे सिपाही उधर से निकले। हमारे सिपाहियों ने इसे दबोच लिया। इसकी हमें बहुत दिनों से खोज थी। आजइसे हमने पकड़ा है। महाराजा ये बड़ाही खतरनाक चोर है। इसे छोड़ान जाय। इसे कठोर से कठोर दण्ड दिया जाय। ठीक है। इसे प्राण दण्ड दिया जाता है। इसे सूली पर चढ़ा दो।

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