Book Title: Punya ka Fal
Author(s): Dharmchand Shastri
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 12
________________ लेकिन मैं जिसकी पत्नी हूँ. वो सेठ दत्त भी | आज ही आ गया है। उसे भी आज ही आना था। हुँह वीरवती सारे दिन विचलित रही। 03 M यह हाल देखकर सेठ दत्त चुप हो गया ।। जैन चित्रकथा 19 तुम कुछ परेशान हो क्या ? सेठ दत्त की परवाह क्यों करती है। उसे तो तूने पहले ही वश में कर रखा है। वो कभी) तेरे बारे में सन्देह न करेगा। नाराज न हो ! ठीक है, जो हो सके वही करो। 10 क्या हो गया है आपको ? जबसे आए हैं- यही पूछे जा रहे हैं कि परेशान हो, उदास हो ... क्या करूँ, मेरा चेहरा ही ऐसा है । उधर रात होते ही गारक को सूली पर चढ़ा दिया गया। हाथ कैसे सब लोग सोएं और मैं अपने प्रेमी के शव से जाकर लिपट जाऊं 100000

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