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लेकिन मैं जिसकी पत्नी हूँ. वो सेठ दत्त भी | आज ही आ गया है। उसे भी आज ही आना था। हुँह
वीरवती सारे दिन विचलित रही।
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यह हाल देखकर सेठ दत्त चुप हो गया ।।
जैन चित्रकथा
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तुम कुछ परेशान हो क्या ?
सेठ दत्त की परवाह क्यों करती है। उसे तो तूने पहले ही वश में कर रखा है। वो कभी) तेरे बारे में सन्देह न करेगा।
नाराज न
हो ! ठीक है, जो हो सके वही करो।
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क्या हो गया है आपको ? जबसे आए हैं- यही पूछे जा रहे हैं कि परेशान हो, उदास हो ... क्या करूँ, मेरा चेहरा ही ऐसा है ।
उधर रात होते ही गारक को सूली पर चढ़ा दिया गया।
हाथ कैसे सब लोग सोएं और मैं अपने प्रेमी के शव से जाकर लिपट जाऊं
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