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उधर वीरवती को गारकके पकड़े जाने का दुख था।
पूण्य का फल सुना! वीरवती। राजाने गारक को सूली (पर चढाने का आदेश
दिया है।
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पर कैसे सरिख। राजा के सिपाही कभी
न मिलने देंगे।
तूकहना, मैं इसकी पत्नी हूँ।
क्या? निर्दयी राजाको तरसन आया कि ऐसे ताकतवर, जवान) आदमीको सूली परचढ़ा रहे
तू किसी तरह उससे मिलले!
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