Book Title: Puhaichandchariyam
Author(s): Shantisuri, Ramnikvijay Gani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 6
________________ प्रकाशकीय __ स्व. आगमप्रभाकर मुनिवर्य श्री पुण्यविजयजी के अंतेवासी स्व. पू. मु. श्री रमणीकविजयजी गणि द्वारा संपादित, प.पू. आचार्य श्री शान्तिसूरिविरचित प्राकृतभाषाबद्ध पृथ्वीचन्द्रचरित्र प्राकृत टेष्ट सोसायटी द्वारा इ.स. १९७२ में प्रकाशित हुआ था । ग्रंथ अंतिम कइ वर्षो से अप्राप्य बनचुका था। उसका पुन:मुद्रण प्रकाशित करते हुए हमें आनंद हो रहा है। पृथ्वीचन्द्रचरित्र (प्राकृत पुहइचंदचरियं) की रचना विक्रम संवत ११६१ (इस्वी सन ११०५) में आ. शान्तिसूरि द्वारा हुइ थी । आ. शान्तिसूरि चन्द्रकुलीन आ. श्री सर्वदेवसूरि के शिष्य आ. श्रीनेमिचन्दसूरि के शिष्य थे। पुहइचंदचरिय अनेकलघुधर्मकथानकों, विशिष्टप्राकृतभाषा एवं देश्य शब्दप्रयोगो, अनेक वर्णको आदि से अलंकृत होने के कारण अनेक द्रष्टिसे प्राकृत कथा साहित्यमें विशेष स्थान रखता है। ___ परम पूज्य आचार्य श्री नरचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. और उनके अंतेवासी परम पूज्य मुनिवर्य श्री धर्मतिलकविजयजी म.सा. ने प्राकृत टेष्ट सोसायटी के प्रति जो स्नेह एवं सद्भाव प्रदर्शित किया है उसके लिए हम उनके ऋणी रहेंगे । उन्हीं की प्रेरणा और सदुपदेश से प्रस्तुत ग्रंथ के प्रकाशनार्थ शासनप्रभावक पूज्यपाद आचार्यदेव विजय जिनचंद्रसूरिश्वरजी म.सा. की प्रेरणासे विमलगिरिवर्षावास आयोजन समिति – पालिताणा द्वारा हमें आर्थिक सहाय प्राप्त हइ है । एतदर्थहमसहयोगदातासंस्था के ट्रस्टीगण का आभार प्रदर्शित करते है । पुनः मुद्रण सुचारु रुपसे संपन्न करने के लिए उषा प्रिन्टरी - जैन देरासर के पास, मेइन बजार, हलवद प्रेस को धन्यवाद । अहमदाबाद दिनांक : १५-११-२००६ - रमणीक शाह मानद मंत्री Jain Educairemnational angelibrary.org

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