Book Title: Prit Kiye Dukh Hoy
Author(s): Bhadraguptasuri
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 297
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra बिदाई की घड़ी आई www.kobatirth.org „NEPALO ALTĂ SUBMİN 1 to be do my st ४२. बिदाई की घड़ी आई बेनातट नगर में उद्घोषित हो गया कि : 'विमलयश पुरुष नहीं है... स्त्री है ! ' 'सार्थवाह अमरकुमार ने चोरी नहीं की है !' EXA Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २८५ 'विमलयश का असली नाम सुरसुंदरी है !' 'अमरकुमार सुरसुंदरी के पति हैं!' 'अमरकुमार को चौंकाने के लिए ही विमलयश ने चोरी का झूठा इलजाम लगाकर पकड़वाया था !' ‘अमरकुमार चंपानगरी के नगर श्रेष्ठी के पुत्र हैं । ' ‘सुरसुंदरी चंपानगरी के राजा की बेटी राजकुमारी है। ‘सुरसुंदरी के पास रुपपरिवर्तिनी विद्या है... अद्दश्य हो जाने की भी विद्या है...! 'अब गुणमंजरी की शादी अमरकुमार के साथ होनेवाली है।' घर-घर और गली-गली में... बजारों में और बगीचों में... हर जगह अमरकुमार और सुरसुंदरी की चर्चा होने लगी । श्री नवकार मंत्र के अचिंत्य प्रभाव की बातें होने लगी। लोग तरह तरह की बातें करने लगे। अमरकुमार और सुरसुंदरी को देखने के लिए राजमहल में लोगों के झुंड आने लगे। दोनों के रूप- गुण को देखकर सभी खुश हो उठते हैं । प्रसन्न हो जाते हैं । इस माहौल में मालती सुरसुंदरी से एक मिनट भी एकांत में मिल नहीं पाती है! सुरसुंदरी से मालती की बेसब्री छुपी नहीं है । पर सुरसुंदरी को स्वयं बातें करने की फुरसत कहाँ थी? उसने दो पल मालती को एकांत में बुलाकर कहा : For Private And Personal Use Only 'गुणमंजरी की शादी हो जाने दे। फिर शांति से सारी बात बताऊँगी । ' मालती हर्षविभोर हो उठी। वह अपने कार्य में जुट गयी । अमरकुमार ने सुरसुंदरी से पूछा :

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