Book Title: Prey Ki Bhabhut
Author(s): Rekha Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 3
________________ ऋषभदत्ता की बड़ी बहन सुन्दरी का विवाह वर्द्धमान नगर के सेठ सहदेव के साथ हुआ था। सहदेव रूप गुण और कला का आगार था। पत्नी भी उसके मन के अनुरूप प्राप्त हुई थी। जब सहदेव की भार्या गर्भवती हुई तो उसे नर्मदा नदी की चंबल तरंगों में स्नान करने का दोहद उत्पन्न हुआ। वर्द्धमान नगर से नर्मदा नदी बहुत दूर थीं, अत: भार्या ने सहदेव से अपने इस दोहद चित्र : बने सिंह मो.9460634278 | का जिक नहीं किया। दोहद पूर्ण न होने से वह शनेः शनेः कृश होने लगी। उसका मुख विवरण | ना सभासे अपने मन की बात हो गया तथा उसके शरीर की स्थिति चिन्त्य हो गयी। सहदेव ने एक दिन प्रेमपूर्वक पत्नी से पूछा। | नहीं कर रही हूँ कि आपके द्वारा मेरी प्रिये! क्या कारण है, जिससे तुम्हारी इस प्रकार की स्थिति हो गई है। तुम प्रतिदिन असम्भव दोहद इच्छा पूर्ण हो सकेगी या दुर्बल होती जा रही हो, भोजन भी बंद हो गया है। यदि यही स्थिति कुछ दिनों तक रह नहीं? असम्भव बात को कहकर अपने जायेगी तो तम्हारा जीवित रहना भी कठिन है। तुम अपने मन की बात मुझ से क्यों हितेषियों को संकट में डालना उचित नहीं। नहीं कहती, कौन-सा कारण है, जिससे तुम्हारी यह स्थिति होती जा रही है। Con OD 0000000000 OCOCALCom Cau PUSTA 92200 UO क जो व्यक्ति अपनी और अपने परिवार की सीमाओं का विचार किये बिना काम करता है, व संकट में फंस जाता है ओर उसे पश्चाताप करना पड़ता जैन चित्रकथा

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