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नवोदय सूर्य के समान जिसके तेजस्वी अंग आप भूल रहे हैं, मैं वहीं उसके जैसा मनोरम रूप क्या आप गवारू आदमी और साक्षात् लक्ष्मी या रति के समान जिसकी हूँ, जिसकी प्रतिष्ठा तुम्हारा नहीं है। तुम अवश्य की सी बाते करते हैं, आप कमनीय काया थी, वह कहाँ चली गई हैं। मैं प्रधान गणिका के पद पर | उससे भिन्न हो।
अपनी भूल को सम्भालिये। तो अनिंध्य सुन्दरी से मिलने आया हूँ।
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जब यह बात है, तो मैं जात
हूँ। आपको जैसा अच्छा लगे कीजिये। जाते समय उसने मार्ग में स्वर्ण मुद्राएं वह छिप कर रहती है,
देते हुए एक परिचारक से पूछा। कुलवंती सती नारी होने के सच-सच बतलाओ, वह रानी
कारण वह पुरुषों से घृणा
करती है। उसको प्राप्त कहाँ है?
करना सम्भव नहीं है।
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वह निराश होने के कारण क्रोधाग्नि से प्रज्वलित होने लगा। अतः उसने नर्मदा के शील को धूलिसात करने का निश्चय किया। वह शासक के पास गया और बोला
कुमार! आप अपने इच्छानुसार मेरा जो भी प्रिय देव! आप मुझे आदेश दीजिये कि मैं |
कार्य कर सकते है, कीजिए। आपका कौनसा प्रिय कार्य करू?
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प्रेय की भभूत