Book Title: Pratyekbuddh Charitram Author(s): Jain Dharm Vidya Prasarak Varg Publisher: Jain Dharm Vidya Prasarak Varg View full book textPage 3
________________ चरित्र नां / वैराग्यरसहेतवे // किंचित्प्रत्येकबुझानां / चरित्र कीर्तयिष्यते // 4 // क्वाहं मंदमतिl स्तेषां / क चरित्रं महात्मनां // तदस्मि दमको मेरौ / ध्वजारोपणवांबकः // 5 // तथापि व चसां शुध्ध्यै / जन्मसाफल्यहेतवे // तेषां प्रत्येकबुझानां / नाममात्रमिहोच्यते // 6 // एकैकं | कारणं दृष्ट्वा / प्रबुझाः स्वयमेव ये // उच्यते ते महात्मानः। प्रत्येकबुसंज्ञया // 7 // शिष्या यस्य जिनेंद्रस्य / यावंतो हस्तदीक्षिताः // तावंतस्तस्य तीर्थे स्युः। प्रत्येकबुद्धसाधवः // 7 // तत्तेषां कः समस्ताना-मपास्ताशेषकर्मणां // पवित्राणि चरित्राणि / वचसा वक्तु नित्तिरापि यैः // 10 // करकंमुश्च हिमुखो / नमिराजो नगामतिः // इति नाम्ना प्रसिझास्ते / महात्मानोऽनवनिह // 11 // दृष्ट्वा गामिंद्रकेतुं च / वलयं चाम्रपादपं / / चत्वारोगस्वरान् देहान् / ज्ञात्वा दीदां प्रपेदिरे // 15 // तत्रादौ कथ्यते वृक्ष-वृषनं प्रेक्ष्य तत्क्षणं // प्रबुद्धस्य प्रसिद्धस्य / करकंमोः कथानकं // 13 // तथाहि पानिधो डीपो / लक्षयोजनविस्तृतः ॥चित्रं योजनकोटीना-माश्रयः शोजतेतरांPage Navigation
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