Book Title: Pratyekbuddh Charitram
Author(s): Jain Dharm Vidya Prasarak Varg
Publisher: Jain Dharm Vidya Prasarak Varg

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Page 10
________________ . चरित्र सुतो // नार्या चंपाधिराजस्य / दधिवाहनभूलुजः // 3 // चंपातोऽहं समायाता / गमिष्यामि च तां पुरीं // विज्ञातुं वपुरीमार्ग / जवानाजाषितो मया // 4 // अरण्ये किमिहायाता / तेनैवमुदिते सति // सारज्य दोहदात्सर्व / खवृत्तांतमचीकथत् // 5 // तापसः प्राह हे वसे / खजातीयो जवेन्मम // त्वत्पिता चेटको राजा / दिष्ट्या दृष्टासि सांप्रतं // 6 // मा शोकं कुरु मारोदी-यतोऽपारे उरुत्तरे // संसारे संसरन् जीवः / क्वचिद् दुःखी कचित्सुखी // // सुघटं दुर्घटं कुर्याद् / उर्घटं सुघटं पुनः // तदेव घटयेद् दैवं / यन्मनुष्यों न चिंतयेत् // 7 // कस्यापि न सुखं नित्यं / दुःखं कस्येह नागतं // खंमितः को न दैवेन / संसारे संसरन् जनः // ए // शोकजन्मजरामृत्यु-वियोगरोगपूरितः // परानवैकप्रभवः / खजावानव ईदृशः // ए // अपारासारसंसार-पारावार निरूपणं // दुःखापनोदसंपादि / तापसेनेति निर्मितं // 1 // अथ वनफलैर्व-रनिबंत्यपि कारिता॥ सा तेनाग्रहमादाय / पारणं तृप्तिकारणं // ए // तस्याः स दर्शयन्मार्ग / तां निन्ये स जनावनिं // परोपकरणे यत्न। कुर्वते तीदपबुद्धयः // ए३ // अथाग्रे स बन्ज दृष्ट्वा / हलाकृष्टां वसुंधरां ॥पद्मावतीमुवा aamanansmara - P.P.AC. Guhratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trist

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