Book Title: Pratyekbuddh Charitram Author(s): Jain Dharm Vidya Prasarak Varg Publisher: Jain Dharm Vidya Prasarak Varg View full book textPage 9
________________ MORIES श्व शरणं मम // साधवः शरणं शुद्ध-धर्मोऽस्तु शरणं मम // 71 // आशिश्रयदसावेवं / च- / तु शरणमजसा // पापान्यालोचयामास / निंदती स्वं मुहुर्मुहुः // 75 // कमयामि सर्वजंतूचरित्रं न् / दाम्यंतु मयि जैतवः // मैत्री समस्तचूतौ / वैरं नो मम कैश्चन // 13 // दांत्वा च क्ष। मयित्वा. च / शमसंवैगमार्गता // सा साकारं तदा जक्त-प्रत्याख्यानमशिश्रयत् // 4 // | तथाहि जश् मे हुज पमान / श्मस्स देहस्स श्माई वेलाए // आहारमुहिंदेहं / चरमे समयंमि वोसिरियं // 35 // सिडिसीमंतिनीकंठी–दारहारसहोदरं // परमेष्टिनमस्कारं / दध्यौ ध्यानपरायणा // 6 // नमस्कारप्रेजावेण / व्याघव्यालादयः समे // पशवः स्तंजिता. | जाता-चित्रेषु लिखिता इव // 7 // ततः सा निर्नया किंचि-जपंती श्रीनमस्कृति॥ एकां दिशं समादाय / प्रचचाल शनैः शनैः // // पदे पदे प्रस्खलंती / यावद् घरं गता. तदा // / / एकं तापसमद्रादी-तपसा शोषितांगकंपएाक्रमेण तस्य पार्श्वेगा-प्राषितः सोऽथ किंचन // पद्मावती परवं / तापसी मधुरस्वरं // 70 // का त्वं कुतः समायाता / क वा यास्यसि केन | मां // यानाषयसि पृष्टेवं / सावदमनदादरं // 2 // अहं चेटकराजस्यं / नाना पद्मावती / / 2 42- - .-. . .. ...... AWGuntanales Sun Gun Aaradhak TrulPage Navigation
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