Book Title: Pratyekbuddh Charitram Author(s): Jain Dharm Vidya Prasarak Varg Publisher: Jain Dharm Vidya Prasarak Varg View full book textPage 5
________________ कृशदेहाजवत्कृष्ण-पहें चंडकलेव सा // 26 // अथ राज्ञान्यदा पृष्टा / प्रिये केनासि पुर्वला॥ किं केनापि तवाझेह / खमिता मम मंदिरे // 27 // अथवा केनचिनजे। पूनासि स्वजनेन किं // व्याधिर्वाधिः शरीरं ते / सांप्रतं बाधतेऽथवा // 27 // साब्रवीहिनयेनैवं / संयोजितकरांबुजा // स्वामिस्तव प्रसादेन / दुःखं मे नास्ति किंचन // श्एं // परं गर्नप्रनावोछो / दोहदोऽयं हृदा सह // देहं दहति हिमव-न्मालतीदलकोमलं // 30 // प्रिये पोपूर्यते त्वको / उःपूरोऽपि मनोरथः // सुखसाध्यः कियानेष / इत्युक्त्वान्युछितो नृपः॥३१॥राजाथ जयनामानं / राजेव पूर्वपर्वतं // श्रातपत्रं समादाया-रुरोह स्वमतंगजं // 35 // शुजाकारैरलंकारैः / स्फारहारैरलंकृता / सुनाखरमणिश्रेण्या / नासयंती दिशो दश // 33 // नृपादेशात्समारुह्य / तं गजं गजगामिनी // परीवारसमाकीर्णा / साचालीत्काननंप्रति // 3 // युग्मं // यशोनिदानदानानि / ददाना सा यथेप्सितं // शुशुन्ने कल्पवसीव / शैलशृंगसमुछि. ता // 35 // अस्मिन्नवसरे नव्य-मेघवृष्ट्यनुजावतः // सर्वतः सुरनिगंध / उदबलदिलातला| त् // 36 // तं तथाविधमाघाय / स्मृत्वा निजं महाटवीं // मतंगजो मदोन्मत्तः // स तत्क- | JN Jun Gun Aaradhak TruePage Navigation
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