Book Title: Prakrit Margopadeshika
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Gurjar Granthratna Karyalay
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[४]
४ खामणं आयरिए उवज्झाए सीसे साहम्मिए कुलगणे । जे मे केइ कसाया सव्वे तिविहेण खामेमि॥ सव्वस्स समणसंघस्स भगवओ अंजलिं करिअ सीसे । सव्वे खमावइत्ता खमामि सव्वस्स अहयं पि ॥ सव्वस्स जीवरासिस्स भावओ धम्मनिहिअनिभचित्तो । सव्वे खमावइत्ता खमामि सव्वस्स अहयं पि ॥ खानेमि सव्वजीवे सव्वे जीवा खमंतु मे। मित्ती मे सव्वभूएसु वेरै मज्झं न केणइ ॥
-पडिक्कणमुख
-
समयं०
५ समयं गोयम! मा पमायए कुसग्गे जह ओसबिंदुए थोवं चिट्ठति लंबमाणए। एवं मणुयाण जीविभ
समयं. इह इत्तरियम्मि आउए जीवितए बहुपञ्चवायए । विहुणाहि रयं पुराकडं एवं भवसंसारे संसरति सुभासुमेहि कम्मेहिं । जीवो पमायबहुलो
.. समयं० परिजूरइ ते सरीरयं केसा पंडुरगा भवंति ते।। से सोयबले य हायइ
समयं० वुच्छिद सिणेहमप्पणो कुमुयं सारइयं व पाणियं । से सव्वसिणेहवजिए
समयं०
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