Book Title: Prakrit Margopadeshika
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Gurjar Granthratna Karyalay
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[२१] अहिहित्ता तेसिं चिन्भडियाणं मणयं मणयं चक्खित्ता चक्खित्ता पच्छा तं सागडियं मोदकं मग्गति । ताहे सागडिओ भणति
"इमे चिब्भडिया ण खाइया तुमे।" धुत्तेण भण्णति-"जइ न खाइया चिन्भडिया अग्घवेह तुमं ।"
तओ अग्घविएसु कइया आगया, पासंति खाइया चिब्भडिया, ताहे कइया भणंति-“को एया खाइया चिमडिया किणइ ?"
तओ करणे ववहारो जाओ। 'खाइय' त्ति जिओ सागडिओ । ताहे धुत्तेण मोदगं मग्गिजति । अचाइओ सागडिओ, जुत्तिकरा ओलग्गिया, ते पुट्ठा पुच्छंति, तेसिं जहावत्तं सव्वं कहेति । एवं कहिते तेहिं उत्तरं सिक्खाविओ।
तओ तेण खुड्यं मोदगं णगरदारे ठवित्ता, भणिओ मोदगो"जाहि, जाहि मोदग!" स मोदगो न णीसरइ नगरदारण।
तो तेण सागडिएण सक्खिणो वुत्ता-"मए तुम्हाकं समक्ख पडिन्नायं--'जं अहं जिओ भविस्सामि तो सो मोदगो मया दायन्वो जो नगरद्दारेण न णीसरइ,' एसो न णीसरइ ।" तओ जिओ धुत्तो।
(दशवैकालिकवृत्तिः)
१८ भारियासीलपरिक्खा अस्थि अवंती नाम जणवओ । तत्थ उज्जेणी नाम नयरी रिद्धस्थिमियसमिद्धा । तत्थ राया जितसत्तू नाम । तस्स रण्णो धारिणी नाम देवी।
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