Book Title: Prakrit Margopadeshika
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Gurjar Granthratna Karyalay

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Page 289
________________ छुहमारो (क्षुधामारः) भूखमरो छूटाणि ० छूटं (क्षिप्तानि) फेंक्यां छोड्यां जक्खाययणे ( यक्षायतने) यक्षना मंदिरमां जणमारिं ( जणमारि) माणसोनो मरो जनवा ( यज्ञपाटकम् ) यज्ञवाडामां जयामो (यजामः) यज्ञ करीए - पूजीए जामाउयस्स (जामातृकस्य) जमाईनुं जायणजीविणु त्ति ( याचनजीविनः इति) याचना करीने जीवनारा जीवणोवाओ (जीवनोपायः) जीवननो उपाय जुत्तिकरा (युक्तिकराः ) युक्ति कर - नारा - वकीलो जोइए (दृष्टे) जोया पछी जोहेसु (योधेषु) योधाओमां ठाइयव्वं ( स्थातव्यम् ) ठावुं जोइए रहेवुं जोइए तक्का (तर्काः) तर्कों - संकल्प विकल्पो तत्थं ( तथ्यार्थम् ) तथ्य अर्थ - साची वातने तित्तिरं, तित्तिरिं ( तित्तिरिम् ) तरने तित्ते (तितः) तीतो - तीखो कडवो तुट्ठिदाणं ( तुष्टिदानम् ) संतुष्ट थइने दान आपवुं ते-पारितोषिक इनाम ३२ तंसे (त्र्यत्रः ) त्रांसो दासी (अदाः) दीधुं दाहिंति (दास्यन्ति ) देशे दिउत्तमा ( द्विजोत्तमाः) उत्तम द्विजो - ब्राह्मणो दी (दीर्घः) दीर्घ - लांबो दुक्कुला (दुष्कुला) दुष्ट कुलनी दुहियरो ( दुहितरः ) दीकरीओ देवयभूया (देवताभूता) देवता जेवी देसिओ (देशितः) उपदेशाएलोदेखाडेलो दंतवक्के (दन्तवक्त्रः ) दंतवक्त्र नामनो महाभारत - प्रसिद्ध राजा धणपणपरिग्गहाओ (धन-पचनपरिग्रहात् ) धन, रसोइ करवी अने बीजा परिग्रहथी धम्मनिअिनि अचित्तो (धर्मनिहितनिजचित्तः) जेणे पोतानुं चित्त धर्ममां स्थापेलं छे ते धरणितलोसित्तअंसुनिवहाओ (घरणितलावसिक्तअश्रु - निवहाः) जेमणे धरणितल ऊपर आंसुओ वहाव्यां छे तेओ धिज्जाइआ (द्विजातिकाः ) ब्राह्मणो धूया ( दुहिता) दीकरी

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