Book Title: Pragna Sanchayan
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Jina Bharati

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Page 165
________________ लेखांक ११ दोनों कल्याणकारी : जीवन और मृत्यु गांधीजी को दुनिया ने महात्मा कहा । क्यों कि उनका जीवन महान था । जिनका जीवन ही महान हो उनकी मृत्यु भी महान ही होगी। गांधीजी का जीवन महान क्यों माना जाता है ? इस प्रश्न का उत्त केवल एक ही है और वह यह कि बाल्यकाल से लेकर अंतिम क्षण तक केवल प्रेम की भावना, सत्य तथा औरों का भला करने की वृत्ति एवं प्रवृत्ति ही अस्खलितरूप से एवं उत्तरोत्तर विकसित रूप में और अधिक से अधिक विकसित रूप में उनको दृष्टि समक्ष रही है । भगवान बुद्ध की मृत्यु के बाद लोगों में शोक व्याप्त हुआ था, परंतु यह शोक अधिकतर उनके भिक्षुगण एवं गृहस्थवर्ग में ही व्याप्त था ऐसा हम कह सकते हैं। भगवान महावीर के निर्वाण के समय व्याप्त शोक भी प्रायः उसी प्रकार का था, यद्यपि उन दिनों, समाचार फैलाने के साधन आज के जैसे नहीं थे । गांधीजी के निधन के समाचार वर्तमान समय के प्रसार साधनों के कारण विश्वव्यापी बने, कितु विश्वव्यापी शोक का केवल यही एक कारण नहीं है । वास्तव में उनका आंतरिक एवं बाह्य जीवन ऐसा विश्वव्यापी बन गया था कि उनका स्थूल शरीर कहीं भी हों, उनका संदेश दुनिया के प्रत्येक भाग में एक ही समय में अक्षुण्ण रूप से पहुंच जाता था और शिक्षित या अशिक्षित, इस धर्म के अनुयायी या उस धर्म के अनुयायी, इस देश के या उस देश के लोग गांधीजी के विषय में इतना तो स्वीकार कर ही लेते कि वे जो कुछ कहते हैं, जो भी संदेश देते हैं वह सब उनके आचरण का ही परिणाम है । सब मन में दृढ़ विश्वास था कि गांधीजी का चिंतन, कथन और कार्य भिन्न भिन्न हो ही नहीं सकते । विश्वहृदय में गांधीजी की प्रतिष्ठा केवल इसी वजह से थी । वे सब के हृदय के राम बन गये वह केवल सत्यनिष्ठा और करुणावृत्ति के कारण ही । इसी वजह से हम गांधीजी के जीवन को महान कहते हैं ।

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