Book Title: Pragna Sanchayan
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Jina Bharati

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Page 173
________________ दोनों कल्याणकारी : जीवन और मृत्यु ___ १३५ का, उसके जीवन का ही अंत कर देने के संकल्प को पुष्ट किया जिसका गोडसे तो एक प्रतीक मात्र है। गोडसे के हाथों गाधीजी की हत्या हुई ऐसा कहने के बजाय यह कहना सत्य के अधिक निकट है कि गाँधीजी की उत्तरोत्तर विकसित तथा अधिक शुद्ध होती जा रही अहिंसा का स्वीकार करने में असमर्थ मानस ही गाँधीजी की हत्या करवाने में कारणरूप बना । परंतु गाँधीजी अगर पूर्णतः सच्चे अहिंसक थे और उनकी प्रज्ञा अगर केवल सत्य कोही धारण करती थी, सत्य को अगर उनकी प्रज्ञा ने आत्मसात् किया था, तो उनकी हिंसा - उनकी हत्या - संभव ही नहीं है, बल्कि उनके द्वारा आचरण में रखी गई अहिंसा एवं उनकी सत्यनिष्ठ प्रज्ञा, ये दोनों जो उनकी छोटी-सी स्थूल काया तक सीमित थी वह अनेक प्रकार से, अनेकशः विस्तृत हुई है । जो लोग गांधीजी की अहिंसा और ऋतंभरा सत्यनिष्ठ प्रज्ञा को पूर्णतः नहीं समझ सके थे वे अब अधिक जिज्ञासा पूर्वक, अधिक लगन के साथ उसे समझने का प्रयास कर रहे हैं । इसी कारण से ही तो अनेक लोग जो दूसरों के प्रभाव में आ कर गलत मार्ग पर जा रहे थे वे अपने आप सही मार्ग पर धडल्ले से वापस आने लगे हैं और गोडसे के प्रेरक मानस की हृदयपूर्वक निंदा कर रहे हैं। पुनर्जन्म व्यक्तिगत हो या सामाजिक दोनों रूपों में उसका अर्थ एक तो है ही कि कोई भी संकल्प कभी व्यर्थ तो जाता ही नहीं । गाँधीजी का वज्रसंकल्प तो व्यर्थ जा ही नहीं सकता । सोक्रेटिस तथा क्राइस्ट के संकल्प उनके अवसान के बाद ही अधिक गतिमान एवं अधिक दृढमूल हुए हैं वह सर्वविदित है । गांधीजी की मृत्यु किसी तुच्छ जंतु की मृत्यु नहीं है । उनकी मृत्यु ने समस्त मानवजाति को शोकसंतप्त बनाया है। इसका अर्थ यह है कि उनकी मृत्यु ने मनुष्य जाति को अपने अंतर्मन में झाँकने के लिए अंतर्मुख बनने के लिए प्रेरित किया है । और वस्तुतः गाँधीजी आख़िर चहिते भी क्या थे ? वे हमेशा यही कहा करते थे कि आप स्वनिरीक्षण करें और अपने आप को सुधारें । अपने जीवन काल में उन्होंने अपना संदेश जितना प्रसारित किया, उससे कहीं अधिक विस्तृत रूप में उन्होंने अपनी मृत्यु के द्वारा अपना संदेश प्रसारित किया है और भविष्य में वह और भी विस्तृत रूप से प्रसरित होगा उसमें कोई संदेह नहीं । वैसे तो इस देश के मंच पर आने के बाद गाँधीजी ने एक विशाल सेवकवर्ग तैयार किया है। किसी भी प्रांत, किसी भी जिले या किसी भी तालुके की ओर देखें तो हर जगह गाँधीजी के मार्गदर्शन में काम करनेवाले कुछ

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