________________
१३२
प्रज्ञा संचयन मान कर उनकी अवगणना ही करता था । यह वर्ग ही गांधीजी के नवजीवन संदेश के लिए भयानक था । गांधीजी स्वयं को हिंदु कहते और वे हिंदु धर्म का पालन करते हैं ऐसा स्पष्ट रूप से कहते भी थे परंतु उनके हिंदु धर्म का उद्भव एवं विकास ऋतंभरा प्रज्ञा में से हुआ था जिसके परिणामस्वरूप वह इतना विस्तृत था, इतना विशाल बना था, कि जहाँ एक ओर दुनिया के समग्र सच्चे धर्मानुयायियों को वह यह मानने को प्रेरित करता था कि गांधीजी हमारे ही धर्म के मर्म की सर्वत्र वास्तविक रूप में व्याख्या कर के प्रस्तुत करते हैं तो दूसरी ओर से संकीर्ण मनवाले रूढ़िचुस्त, स्वार्थी धार्मिक लोगों के मन में वह तनिक भी स्थान प्राप्त न कर पाता
था।
वास्तव में गांधीजी का यह उदारवादी धर्म उन लोगों को अनेक प्रकार से झुंझला देता था । जगत किस दिशा में घसीटा जा रहा है और मृत्यु के महागर्त में डूबता जा रहा है उस वास्तविक स्थिति से वाकिफ होने के कारण तथा इस स्थिति से बचने के लिए पूर्ण रूप से निर्दोष एवं सब के लिए अनुसरणीय, सरल उपाय लोगों के समक्ष प्रस्तुत करने के कारण दिन प्रतिदिन गांधीजी का अनुसरण करनेवालों की संख्या में वृद्धि होती जाती थी। इतना तो निश्चित है कि उनकी प्रभावपूर्ण वाणी को सुनने या पढ़ने के लिए उत्सुक रहनेवाले, आतुर रहनेवाले लोगों की संख्या बढ़ती ही जारही थी। पुरानी पीढ़ी के और वृद्ध अवस्था के लोगों का समावेश भी इस वर्ग में जुड़ता ही जा रहा था। इस कारण से रूढ़िचुस्त तथा विरोधी मानसवाले, जिनके पास अपने धर्म या कौम के सीमित दायरों में रहनेवाले लोगों के लिए सक्रिय रूप से कुछ करने के लिए कुछ था नहीं, वे मन ही मन झुंझलाते और खुल्लंखुल्ला तो नहीं, परंतु मन ही मन उनके प्रति क्रोधित होते और दूसरे लोगों में भी गांधीजी के प्रति क्रोध जगाने का प्रयत्न करते । ऐसे लोगों में कुछ बुद्धिमान फिर भी केवल सत्तालोलुप और असहिष्णु लोगों का एक वर्ग पहले से ही था । गांधीजी की विकसित हो रही विश्वप्रिय प्रवृत्ति तथा देशोद्धारक प्रवृत्ति के तेज के कारण इस वर्ग के लोगों को अन्य लोग अधिक महत्त्व देते नहीं थे। परंतु जैसे जैसे गांधीजी का हिंदुत्त्व-परिशोधन कार्यक्रम उग्र एवं विशाल बनता गया, वैसे वैसे इस असहिष्णु लोगों के समुदाय को भोले, अज्ञानी तथा स्वार्थी लोगों को अपनी ओर आकृष्ट करने का अधिक मौका मिलता गया। मुस्लिमों की मांगें बढ़ती गईं। गांधीजी दीर्घ दृष्टि से अगर मुसलमानों के पक्ष में उन्हें कोई अच्छी सुविधा देने की दीर्घदृष्टिपूर्ण