Book Title: Prachin Stavanavali
Author(s): Mannalal Mishrilal Chopda
Publisher: Mannalal Mishrilal Chopda

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Page 12
________________ श्रीमति गुरुणीजी १०८ श्री आनन्दधीजी महाराज साहबका संक्षेप जीवनचरित्र प्रिय वाचकगण ? शान्तमूर्ति महातपस्वी श्रीआनन्दश्रीजी महाराजका जन्म गाम 'गंटीयाली' में विक्रम सं० १९२३ मिती फाल्गुन वदि १३ को हुवाथा मोसाल में आपका नाम "आणंदकँवरबाई" रक्खाथा, आपके लग्नमु० फलोधी में लक्ष्मीचंदजी गुलेच्छा के सुपुत्र मूलचन्दजी के साथ हुए थे. लग्न होनेके ४ वर्ष बाद याने २० वर्षकी वय में इस संसारकों असार जाण हजारों रुपये का द्रव्य छोड़ गांव फलोधी सं० १९४३ में आपने बडे धामधूम के साथ दीक्षा ग्रहण की. दीक्षा लेने के बाद आपने अट्ठाई, दश, एक पक्ष, साला, मासक्षमण, आदि छोटी मोटी वहुत तपश्चर्या की है. इसी तरह आपने सं० १९६३ मु० सुरत में श्रीमान् १००८ श्री" यशः मूरिजी महाराज के पास बडा जोग वहन किया. ___ यह प्राचीन स्तनावली पुस्तक भी आपश्री के व श्री कल्याणश्रीजी महाराज के सदुपदेशसे श्राविका वर्ग की तर्क से प्रकाशित हुई है। करीब १॥ वर्षसे आपकों एसी व्याधी प्राप्त हुई के

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