Book Title: Prachin Pratima Lekh Sangraha
Author(s): Vishalvijay, Vijaysomchandrasuri
Publisher: Rander Road Jain Sangh
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પૂજ્ય વિશાલવિજયજી મ.ના સ્વહસ્તે લખેલ હસ્તપ્રતનું એક પત્ર
पूज्यपाद गुरुदेव श्री विजयधर्मसूरीश्वरेभ्यो नमो नमः गुरुमहाराज श्री जयंत बिज ये भ्यो नमो नमः સુનિ વિ શા લ વિ જ ય.. ( ધર્મ યાપાસક )
વિહાર સ્થળઃ
अयभनु सीरना:
ચરીવિજ્ય જૈન ગ્રંથમાળા રીસ રોડ—ભાવનગર.
धर्म स.
मनपुरखानामा धनीप्रतिमा (१) धातुनार्थ मनोसेन
सं१३५ पलाश्रमासा
फले सुनमेषानधन निधिनिक हरित प्रतिधित
Gm॥
13
(2) पाना पंथाला परिचर Misaka
संपत ११वर्षे
लाग
माज जोडत - पट्टारिक
प्रतितितः भवरलঃ।
(3)घाउनामपनी की नोदया संप४० एवार्षयधिक सोमेश्रायानीपित दोहागी लोसामान सहा रूप देतीय को आजादक कजिंग : सुत सांगोन०प्र० सुशिल (४) धातुना 92 માં પ્રમસદ अभूद संताने ग
पर बोले ગચ્છે ત્ય
जोसनेमा

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