Book Title: Prachin Karmgranth Satik
Author(s): Jain Atmanand Sabha
Publisher: Jain Atmanand Sabha
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नंबर
ग्रन्थोनां नाम.
कर्चा.
(४) षडशीति * जिनवल्लभगणि
" भाष्य
د.
भाष्य *
" वृत्ति
" वृत्ति
""
222
हरिभद्रसूरि मलयगिरिरि
वृत्ति यशोभद्रसूरि
प्रा० वृत्ति रामदेव
" विवरण x मेरुवाचक उद्धार x
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लोकसंख्या.
गा० ८६
गा० २३
गा० ३८
लो०
१० ८५०
श्लो० २१४०
श्लो० १६३०
लो० ७५०
पत्र - ३२
लो० १६००
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ग्रन्थरच्याना कालविगेरेनी हकीकत.
श्रीजिनवल्लभगणी नवाङ्गिवृत्तिकार श्रीअभयदेवसूरिना शिष्य हता तेथी श्रीअभयदेवसूरिनो जे समय छे तेज समय का प्रकरणना कर्त्तानो पण जाणवो. पडशीतिनुं बी नाम 'आगमिकवस्तुविचारसार' के.
• भाव अमनें टक मयुं छे. पण सेना कर्त्ताए नाम विगेरे आप्युं नथी. भाष्य कर्त्ताए पोतानुं नाम विगेरे आप्णुं ममी.
श्रीजा नंबर मां बन्धस्वामित्वनी वृत्तिमां भो.
पहेला नंबरमां कर्मप्रकृतिनी वृति शुभ.
आ यशोभद्रसूरि चन्द्रकुलना धनेश्वरसूरिना शिष्य धर्मसूरिना शिष्य हता. भने तेभोश्री शाकंभरीना अर्णोराजना राज्यमा विद्यमान हता तेथी तेभोश्री विक्रमनी बारमी सदीना अंतमां थएला छे.
आ रामदेव श्रीजिनयतुभगणिना शिष्य होवाथी जिनवल्लभगणिनो जे समय छे तेज समय. एटले विक्रमनी बारमी सदीमां हता. विवरणकर्त्ता क्यारे थया ? ए बदल विवरण जोवाथी कदाच निर्णय यह आवे. उद्धारनुं पुस्तक जोवाथी कर्त्ताविगेरेनो कदाच निर्णय थाय.
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