Book Title: Prachin Karmgranth Satik
Author(s): Jain Atmanand Sabha
Publisher: Jain Atmanand Sabha

View full book text
Previous | Next

Page 10
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra नंबर ग्रन्थोनां नाम. कर्चा. (४) षडशीति * जिनवल्लभगणि " भाष्य د. भाष्य * " वृत्ति " वृत्ति "" 222 हरिभद्रसूरि मलयगिरिरि वृत्ति यशोभद्रसूरि प्रा० वृत्ति रामदेव " विवरण x मेरुवाचक उद्धार x www.kobatirth.org लोकसंख्या. गा० ८६ गा० २३ गा० ३८ लो० १० ८५० श्लो० २१४० श्लो० १६३० लो० ७५० पत्र - ३२ लो० १६०० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ग्रन्थरच्याना कालविगेरेनी हकीकत. श्रीजिनवल्लभगणी नवाङ्गिवृत्तिकार श्रीअभयदेवसूरिना शिष्य हता तेथी श्रीअभयदेवसूरिनो जे समय छे तेज समय का प्रकरणना कर्त्तानो पण जाणवो. पडशीतिनुं बी नाम 'आगमिकवस्तुविचारसार' के. • भाव अमनें टक मयुं छे. पण सेना कर्त्ताए नाम विगेरे आप्युं नथी. भाष्य कर्त्ताए पोतानुं नाम विगेरे आप्णुं ममी. श्रीजा नंबर मां बन्धस्वामित्वनी वृत्तिमां भो. पहेला नंबरमां कर्मप्रकृतिनी वृति शुभ. आ यशोभद्रसूरि चन्द्रकुलना धनेश्वरसूरिना शिष्य धर्मसूरिना शिष्य हता. भने तेभोश्री शाकंभरीना अर्णोराजना राज्यमा विद्यमान हता तेथी तेभोश्री विक्रमनी बारमी सदीना अंतमां थएला छे. आ रामदेव श्रीजिनयतुभगणिना शिष्य होवाथी जिनवल्लभगणिनो जे समय छे तेज समय. एटले विक्रमनी बारमी सदीमां हता. विवरणकर्त्ता क्यारे थया ? ए बदल विवरण जोवाथी कदाच निर्णय यह आवे. उद्धारनुं पुस्तक जोवाथी कर्त्ताविगेरेनो कदाच निर्णय थाय. For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 ... 476